How to use Colour Therpy 7 Treatment at home
कलर थेरेपी क्या है और इसका उपयोग कैसे किया जाता है.
इस प्रकार अच्छे स्वास्थ्य और तंदरुस्त इन सभी ऊर्जाओं के संतुलन से प्राप्त होती है। शरीर के प्रत्येक रंग में ऊर्जा का संतुलन स्वास्थ्य और तंदरुस्त के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैै.
रंगो के कई उपयोग हैं क्योंकि इनके पास अलग-अलग गुण हैं। उदाहरण के लिए: - लाल, नारंगी और पीले रंग गर्म और ऊर्जावान होते हैं जबकि नीले, इंडिगो और वायलेट शीतल और शांत होते हैं। हरे रंग को गर्म और शांत रंगों के बीच एक संतुलनकारी रंग माना जाता है।। कलर थेरेपी वैकल्पिक चिकित्सा का एक रूप है, जिसमें शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ करने के लिए प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है।
हमारे शरीर के अंग खराब नहीं होते हैं बल्कि उनकी एनर्जी खराब होती है. एनर्जी को बरकरार रखने के लिए आप कलर थेरेपी का उपयोग कर सकते हैं.खूबसूरती बढ़ाने के लिए रंगों का इस्तेमाल तो होता ही है क्या आप जानते हैं कि रंगों के माध्यम से बहुत सी बीमारियां ,समस्या हम ठीक भी कर सकते हैं हर रंग में अपनी अपनी अपनी शक्ति होती है.
तत्वों में कलर की पहचान कैसे करें:-
कलर थेरेपी चार प्रकार की होते हैं.
1 वाटर कलर थेरेपी
2 क्रिस्टल कलर थेरेपी
3 सुजोक कलर थेरेपी
4 आर्युवेदिक कलर थेरेपी
आज आर्युवेदिक कलर थेरेपी के बारे में जानेंगे. इस कलर थेरेपी पर डॉ॰ मंजू रांका ने बहुत रिसर्च ,मेहनत करके संपूर्ण महारत हासिल कि है.
1.Water colour therapy
2.cristal colour therapy
3.sujog colour therapy
4 ayurvedic colour therapy
5.Sujok acupressure therapy
6.TCM acupressure therapy
7.Auricular therapy
8.shri bhaktamber ji
ranka845@gmail.com
आर्युवेदिक कलर थेरेपी के कलर अंगुलियों पर कैसे लगाते हैं .कलर को अपनी अंगुली में हम एक रिंग की तरह लगाएंगे जो आगे से शुरू होकर पीछे से घूम कर वापस आगे मिलानी है एक अंगूठी की तरह. सारे कलर ऐसे ही रिंग की तरह घुमाकर लगाना है. इस कलर थेरेपी में ब्रश कलर और स्कैज कलर काम में लेते हैं. जो किड्स ड्राइंग में काम में लेते हैं.
तत्वों में लक्षणों की पहचान कैसे करें:-
तम -न्यूनतम संक्रमण का इलाज करने में मदद करता है
आकाश -नरम हल्का सूक्ष्म चिकना यह आवरण प्रदान करता है और इसमें गैर प्रतिरोध गुण होता है इसीलिए एलर्जी और ऑटो इम्यून समस्याओं में मदद करता है
वायु- हल्का, ठंडा, सूखा, खुरदुरा, सूक्ष्म और हमेशा संचलन के लिए जाना जाता है.
अग्नि- गर्म तेज सक्रिय हल्का सूक्ष्म सुखा सूक्ष्म सुखा पिघला देता है डिटाॅक्सिफाई करता है
जल- तरल,फिसलन,ठंडा,धीमा,नरम चिपचिपा,
पृथ्वी- कठिन, धीमा, स्थिर, घना, धारण करने की शक्ति रखता है (पावर ऑफ कंट्रोल)
समय -तंत्रिका आवेग.
दिशा -निर्देश की भावना,बुरी आदतों, और लत को छोड़ने में मदद करता है
मन -स्व पर नियंत्रण, फोकस और खुशी में मदद करता है
आत्मा -पुनरुत्थान
यह तीन बातें पूर्ण रूप से ध्यान रखना चाहिए
स्किन -अगर हमारी स्किन ड्राई /सुखी हैं तो त हैं तो उसके लिए हम क्या करेंगे स्किन पर जल से गिला करेंगे तो जल का कौन सा कलर है ग्रीन. इसलिए स्किन ड्राई हो तो हम ग्रीन कलर काम में लेंगें.
इंफेक्शन-अगर शरीर में कहीं भी इंफेक्शन हो तो हम ब्लेक/ काला कलर काम में लेंगे क्योंकि इंफेक्शन का मतलब अंधकार है तो काला कलर काम में लेंगें
एलर्जी- शरीर में कहीं भी किसी भी जगह किसी भी तरह की कोई एलर्जी हो तो हमें वॉयलेट कलर काम में लेना चाहिए
कलर थेरेपी के 7 इलाज
1. ऐनस- (लेफ्ट हैंड) बाएं हाथ के अंगूठे का पहला जॉइंट पर ऐनस से जुड़ी समस्याओं का इलाज होता है जैसे पाइल्स,मस्से,पोटी करने में दर्द,दस्त आदि
दस्त -अगर लूज मोशन हो तो ऐनस वाली जगह पर आप येलो और ब्लैक कलर अंगूठे के पहले जाॅइन्ट पर रिंग की तरह गोला बनाएंगे
टाइट मोशन -टाइट मोशन आता है तो ऐनस के पोइंट पर आप अंगूठे के पहले जाॅइन्ट पर लाइट ब्लू और ऑरेंज कलर की रिंग बनाएंगे.
2. आइज/आंख- अगर आंखों में समस्या है जिस साइड की आंख में प्रॉब्लम है उस साइड के हाथ में कलर लगाना है अगर दोनों आंखों में समस्या है तो दोनों हाथों में कलर लगाना है आंखों की समस्या के लिए दोनों हाथों की इंडेक्स फिंगर के मिडिल जॉइंट पर लाइट ब्लू कलर लगाना हैं.
आंख में पानी आना-आंख में पानी आ रहा हो तो लाइट ब्लू और येलो कलर दोनों हाथ की इंडेक्स फिंगर में मिडिल जॉइंट पर लगाना है.
3. माउथ / मुंह - मुंह में में कोई भी समस्या हो तो बाएँ हाथ की मिडिल फिंगर पर मिडिल जॉइंट पर कलर लगाना है जैसे दाॅत दर्द,छाले आदि
छाले -अगर मुंह में छाले हो तो ग्रीन और वायलेट कलर बाएँ हाथ के मिडिल जॉइंट पर रिंग की तरह लगाना हैं
लार टपकना-बच्चों और बुजुर्गों की लार टपकने पर येलो और ऑरेंज कलर लगाना चाहिए.
4. नोज /नाक- नाक से जुड़ी कोई भी समस्या हो तो आप दोनों हाथों की रिंग फिंगर के मिडिल जॉइंट पर कलर लगाना चाहिए ,जैसे नाक से पानी आना छींक आना,नाक बंद होना आदि.
छिक और नाक बंंद- छीकें आना और नाक बंद हो तो येलो कलर लगाना चाहिए अगर सर्दी लगने पर छीकें आती है और नाक बंद हो तो येलो और ब्लू कलर लगाना चाहिए.
5. ईयर/कान- कान से जुड़ी कोई भी समस्या हो तो दोनों हाथ की लिटिल फिंगर पर मिडिल जॉइंट पर कलर लगाना चाहिए जिससे कान में दर्द हो, कान में रस्सी आदि
कान में रस्सी-कान में गाढ़ी रस्सी भर जाती है (कान से गाड़ा स्ट्रॉ होना) दोनों हाथ की छोटी उंगली के मिडिल जाॅइन्ट पर औरेन्ज कलर लगाना है. अगर कान में पतला पानी आ रहा हो तो दोनों हाथ की छोटी अंगुली के अपर जॉइंट पर येलो कलर लगाना है
6. रीप्रोडक्टिव हॉल /प्रजनन-इससे जुड़ी कोई भी समस्या हो तो राइट हैंड के मिडल फिंगर के मिडिल जॉइंट पर कलर लगाना चाहिए जैसे ओवरिस और यूट्रस और वर्गीना से जुड़ी समस्या आदि.
7. नेवल /नाभि- नाभि से जुड़ी हुई कोई भी समस्या हो तो दाएँ हाथ के अंगूठे के पहले जॉइंट पर कलर लगाना चाहिए
नाभि खिसक गई -नाभि खिसक गई हो तो राइट हैंड के अंगुठे मिडिल जॉइंट पर येलो और रेड कलर लगाना चाहिए
नाभि में अगर दर्द हो तो वॉयलेट और रेड कलर लगाना चाहिए
कलर थेरेपी क्या होती है कैसे उपयोग करते हैं कब और कौन सा कलर लगाना चाहिए इसके क्या फायदे हैं यह बताया है इस ब्लॉग में आपको पसंद आए तो फाॅलो करें कमेंट करें और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें
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संजु जैन
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