अस्थमा क्या है , कैसे करें इलाज?
अस्थमा बीमारी कैसे होती है ? अस्थमा बीमारी का इलाज कैसे करें ?
अस्थमा फेफड़ों को खास रूप से प्रभावित करता है. इसके कारण व्यक्ति के श्वसन संबंधी बीमारियां होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. दमा आजकल केवल बुर्जुगों में ही नहीं बल्कि युवाओं और बच्चों में भी देखने को बहुत मिल रहे है. बच्चों और बड़ों में होने वाला अस्थमा एक ही प्रकार का होता है.
विश्व सवास्थ संगठन के अनुसार दुनिया भर में लगभग 300 मिलियन लोगों को अस्थमाहै.जिनमें से 25 से 30 मिलियन भारत में हैं . विश्व सवास्थ संगठन ने दमा और अस्थमा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए काफी प्रयास किए हैं, इसी कारण हर साल 5 मई को विश्व दमा दिवस के रूप में मनाया जाता है.
अस्थमा रोग क्या है ?
अस्थमा एक बीमारी है हमारे शरीर में जिसमें विंड पाइप है जिससे सांस लेते और फेफड़े तक हवा जाती है हमारे वायुमार्ग की परत सूज जाती है और उनके आसपास की मांसपेशियां कस जाती हैं. बलगम फिर वायुमार्ग को भरता है, जिससे आगे गुजरने वाली हवा की मात्रा कम हो सकती है. जिससे आपको सांस लेने में तकलीफ और फेफड़ों में जकड़न सी महसूस होती है और बलगम इकट्ठा हो जाता है तब फेेेफड़ों अस्थमा की समस्या हो जाती है.जो मुख्य तौर पर फेफड़ों के वायु मार्ग को प्रभावित करती है जिससे मनुष्य को सांस लेने में तकलीफ होती हैं. यह कुछ दैनिक गतिविधियों मे मुश्किल भी पैदा कर सकती है.
अस्थमा की वजह से उसे कई समस्याएं होती है जैसे सांस लेने, जोर-जोर से सांस लेना, खांसी होना, सांस का फूलना इत्यादि होती हैं. अलग - अलग लोगों पर अस्थमा का असर भी अलग-अलग होता है, कुछ लोगों के लिए यह एक समस्या होती है,तो वहीं कुछ लोगों को इसकी वजह से बहुत परेशानी भी झेलनी पड़ती हैं.
कितने प्रकार का होता है अस्थमा ?
वैसे तो अस्थमा के कई प्रकार होते हैं लेकिन कुछ सामान्य अस्थमा जो पाए जाते हैं वे इस प्रकार हैं:
1. एलर्जिक अस्थमा
एलर्जिक अस्थमा के दौरान आपको किसी चीज से एलर्जी है जैसे धूल-मिट्टी साबुन, परागकण, जानवरों के बाल, स्मोकिंग, परफ्यूम, प्रदूषित वायु के संपर्क में आते ही आपको दमा हो जाता है. ऐसे में एलर्जिक से दूरी बनाएं रखने के लिए बाहर जब भी जाये तब मास्क पहनकर बाहर निकलना चाहिए.
2. एक्सरसाइज इंड्यूस्ड
कई लोगों को एक्सरसाइज या अपनी क्षमता से अधिक कार्य करने लगते हैं जिससे बहुत थकान हो जाती हैं तब वे अस्थमा के शिकार हो जाते हैं.
एक्सरसाइज के दौरान विंड पाइप में ठंडी हवा शरीर में अधिक प्रवेश कर जाती और खिंचाव पैदा करती है. दिल की धड़कनें बढते लगती हैं और फिर व्यक्ति मुंह से सांस लेता और छोड़ता है. इसलिए हमें हमेशा हल्के वॉर्मअप के साथ व्यायाम शुरू करना चाहिए. व्यायाम करने से पहले ट्रेनर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.
3. नाइट-टाइम अस्थमा
ये अस्थमा का ऐसा प्रकार है जो रात के समय ही होता है और रात में असर दिखाता है. इस कारण से मरीजों में ज्यादातर अटैक रात के समय ही आता है .रात के समय अस्थमा का अटैक पड़ने लगे तो आपको समझ जाना चाहिए कि ये नाइट-टाइम अस्थमा का अटैक हैं. नाइट- टाइम अस्थमा को नॉक्टेर्नल और नॉक्चरल अस्थमा भी कहते है. इसमें मरीज को सुबह और शाम दवा हमेशा लेनी चाहिए और हमेंशा इन्हेलर अपने पास रखना चाहिए.
4. चाइल्ड ऑनसेट
ये अस्थमा का वो प्रकार है जो सिर्फ बच्चों को ही होता है. इससे मरीज 4 से 16 वर्ष तक के बच्चों में अस्थमा के लक्षण दिखते हैं.70 फीसदी मामलों में यह आनुवांशिक और 30 प्रतिशत में एलर्जी के कारण होता है. अस्थमा पिडित बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है तो बच्चा इस प्रकार के अस्थमा से अपने आप कम होने लगता है साथ में हमें एलर्जी के कारणों का पता लगाकर गंभीरता जानने के लिए डाक्टर की सलाह से इसका सही समय पर उपचार जरूर कराना चाहिए.
5. एडल्ट ऑनसेट
इसमें अस्थमा का आनुवांशिक लक्षण बचपन में न दिखकर 20 वर्ष की आयु के बाद लक्षण प्रभावी होता है. इस प्रकार के अस्थमा के पीछे एलर्जी के बहुत से कारण छुपे होते है. हालांकि इसका मुख्य कारण प्रदूषण, प्लास्टिक, अधिक धूल मिट्टी और जानवरों के साथ रहने पर होता है. जिस चीज से एलर्जी है उस से दूरी बनाए रखें और घर में साफ सफाई रखें.
6. व्यावसायिक अस्थमा-
व्यावसायिक अस्थमा, जैसे रासायनिक धुएं, गैसों या धूल से उत्पन्न और कार्यस्थल में मौजूद एक एलर्जेन या इरिटेंट्स के संपर्क में आने से होता है. इससे अ के लिए मास्क लगा कर रखें.
7. मौसमी अस्थमा-
इस प्रकार का अस्थमा एलर्जी जो आसपास के वातावरण में होता है।
बहुत अधिक आर्द्रता या कम तापमान जैसी स्थितियां मौसमी अस्थमा है.जैसे- सर्दियों में ठंडी हवा या गर्मियों में पराग ये मौसमी अस्थमा के लक्षण हैं।
अस्थमा के लक्षण कौन-कौन से हैं ?
अस्थमा के सामान्य लक्षण ये हैं :–
• खांसी खासकर रात और सुबह के समय ।
• सांस लेते और छोड़ते समय सीटी बजना या आवाज आना ।
• सांस लेने में तकलीफ होना ।
• सीने में जकड़न या दर्द होना
• खांसी,जकड़न और घरघराहट के कारण नींद न आना
अस्थमा की रोकथाम कैसे करें ?
अस्थमा को कंट्रोल करना बहुत लंबी लड़ाई है, जिसे अस्थमा के मरीज को खुद को लड़ना पड़ता है। लेकिन, डॉक्टर की सहायता से इस काम को आसान किया जा सकता है।
दमा और अस्थमा से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए हमें पांच सावधानियां रखनी चाहिए -:
1. समय-समय पर दवाई लेना- अस्थमा से पीड़ित को अपनी सेहत का विशेष खयाल रखना चाहिए और डॉक्टर द्वारा दी गई दवाईयों को सही समय पर लेनी चाहिए।
2. अस्थमा से पीड़ित सभी लोगों को अस्थमा प्लान को अपनाना चाहिए ताकि उन्हें किसी भी कठीनाईयों का सामना न करना पड़े।
3. वैक्सिन करना- अस्थमा के मरीज को स्वस्थ रहने के लिए समय-समय पर वैक्सिन लेनी चाहिए।
4. दमा से पीड़ित व्यक्ति के लिए योगा करना सही रहता है पर डाक्टर की सलाह से जैसे धनुरासन, उष्ट्रासन, शवासन इत्यादि योगा दमा के लिए लाभदायक है।
5. सभी लोगों के लिए अस्थमा से बचने के लिए अस्थमा ट्रीगर को पहचानना बहुत जरूरी है।
लोगों को डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?
• अगर किसी मनुष्य को प्रतिदिन काम करते समय खांसी, सांस लेने में तकलीफ, इत्यादि परेशानी होती है तो उसे डॉक्टर से मिलना चाहिए।
• सांस लेने में लगातार तकलीफ बढ़ने पर तुरंत डाक्टर से इलाज कराना चाहिए.
• इनहेलर का इस्तेमाल करने पर भी स्थिति में कोई सुधार न आना
• सामान्य या कम थकान वाली दैनिक गतिविधियों के दौरान सांस में कमी आना
अस्थमा के गंभीर अटैक जानलेवा हो सकते हैं। अगर ऊपर दिए गए लक्षणों में से आपको कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि बीमारी जितनी पुरानी होगी उतनी ही तकलीफ ज्यादा बढ़ेगी
ऐसी लक्षण में उसे तुरंत डॉक्टर मिलकर इसका इलाज शुरू कराना चाहिए.
आर्टिकल में हमने आपको दमा और अस्थमा से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है. उम्मीद है आपको हेल्थ केयर की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी. अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें. हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे. अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए.
हेल्थ केयर सिस्टम की सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है.
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